Friday, December 14, 2012

क्यों पत्थर हुआ ये दिल टूटता नहीं ,

कितने गम सह कर ये  क्यूँ रूठता नहीं . 


गमों का समन्दर जज्ब  कर रखा है सीने में ,

आसूओं का निर्झर फिर भी क्यूँ फूटता नहीं ,


इतने सदमे सह कर इस बेदर्द ज़माने के फिर भी ,

क्यूँ  अपने दोनों हाथों से सीने को कूटता नहीं ,


हमने उनको छोड़ दिया है जिंदगी के कारवां से ,

पर पुरानी  यादों  से पीछा छूटता नहीं ,


'कमलेश' खुद को लुटवाने की अपनी फितरत है,

 नही ऐसे ही कोई किसी के 'कारवां' को लूटता नहीं ..........

Monday, October 15, 2012

जिन्दगी के सफर में.....!!!!

जिन्दगी के सफर में ऐसा मुकाम आया है,
जिन्दगी ने खोया ही है न कुछ पाया है। 

हैरान हैं फिजायें वक्त का  मंजर देख कर,
हैरान हैं हम हवाओं के बदले तेवर देख कर। 
 
ज़रूर होती है सुबह हर ढलती शाम की ,
गर हो न सुहानी तो फिर किस काम  की। 

जहाँ गूंजती थी हवाओं की मदमस्त सरगोशियाँ ,
क्यों सिसकती हैं फिजाओं  में ये  खामोशियाँ  .

अब तक  न उनका कोई इजहारे  पयाम आया है ,
 कमलेश 'जिन्दगी ने खोया ही है न कुछ पाया है।

Monday, October 1, 2012

गाँधी जयंती --2012....

आओ गाँधी जी को याद करें ,फिर जाने कब फुर्सत होगी ,
 फोटो उठा   कर ले आयेंगे फिर, जब कभी जरूरत होगी. 

फूल चढाओ ,फोटो खिंचाओ ,और छपवाओ अख़बारों में ,
अल-सुबह अखबारों मेरी  आगे, पीछे बापू की मूरत होगी . 

कसमे खाने सरकार बनाने में पता नही, बापू क्यों जरूरी  है ,
'अच्छा ' सम्विधान में  लिखा है , तभी इनकी  ये मजबूरी है ....

बापू के बोल-वचन  सब बंद  हो गये , उनकी लिखी किताबों में  .....
  नही कहीं सामंजस्य बैठता है उनके  'सत्ता'के हिसाबों  में ....

फिर कभी तुम बापू  मत आना, सब मिल ये फरियाद करें ...
कमलेश 'जिनको ''बापू'' प्यारे हों, वो प्यार से उनको याद  करें .
...

 


Wednesday, September 12, 2012

mn  ke  udgaro ko koi smjhe to ye halat na hote ;
न  हम यहाँ रोते   तुम वहाँ  रोते 

Thursday, August 16, 2012

क्या ये सही नही है ...???


कहते है !टूटे दिल की कोई ,आवाज नही होती ,
टूटे पंखों से आसमां में 'परवाज़ नही होती ।

दिल खटाक से टूटकर ,चूर -चूर हो गया ,
पंक्षी बिना पंखों के भी ,आसमां में फुर्र हो गया ,

'कमलेश 'हो वक्त बेरहम तो , हर पांसा फांस जाता है ,
हो वक्त बा-वफा तो इन्सां , जहर को भी चांट जाता है ॥

Tuesday, August 14, 2012

इस आलम में हर तरफ ...!!!


इस आलम में हर तरफ, फैली क्यूँ बदहवासी है ,
नूर भरे चेहरों पर छाई , ये कैसी सर्द उदासी है

क्यों ? नही गर्म जोशी से थामते ,इक दूसरे का हाथ ,
क्या ? इसमें भी कोई साजिस रची सियासी है

हम साया जो रहे , दुखो-दर्द का साया बन कर ,
कत्लो -गारत की उनकी नियत, क्यों बनी पिशाची है!!!

जिस बात को समझने में , मुद्दतें लगा गयी इनकी पुश्तें ,
इन्सान-इंसानियत को समझे , बस इतनी बात जरा सी है ...!

'कमलेश' खौफ जदा चेहरों में लाश, इंसानियत की दिखती है ,
है कोई ज़रूर नश्तर चुभा दिल में,सबको लगता है बात जरा सी है ..!!!







Saturday, July 28, 2012

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥*
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माम्रतात् ।।
"कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्
सदावसंते हृदयार्विन्दे भवं भवानी सहितं नमामि।।"
भगवान् शिव गौर वर्णीय हैं। इस श्वेत वर्ण का तात्पर्य क्या है? यह शांतिपूर्ण ढंग से मनुष्यों को सिखाता है कि उनके हृदय शुद्ध एवं निर्मल हों, और उनमें शुद्ध-सात्विक विचारों का वास हो। मनुष्य कुटिलता, चालाकी, धूर्तता, ईर्ष्या, द्वेष आदि से मुक्त हो!
आपको सपरिवार..
पावन सावन माह की हार्दिक शुभकामनाये..
मेरे भोलेनाथ आपकी हर मनोकामना शीघ्र-अतिशीघ्र पूर्ण करे

Monday, July 23, 2012

रिम-झिम ,रिमझिम -मेघ ...!!!

रिमझिम -रिमझिम मेघ बरसता ,गिरती बूँदें शाखों से ,
याद के बादल जब-जब छाये ,निर्झर निकला आँखों से

देख उमड़ते मेघों को ,मोर -मोरनी संग नाचे ,
पिया बसे परदेश जा, सजनी बैठी पाती बांचे

मौसम बैरी इस विरहन की ,मिलन की आग जलाये ,
जाओ इस विरह घड़ी में, बैठी हूँ आस लगाये

बहुत सुहाना मौसम है , वक्त बड़ा ही सुंदर है ,
मन की आँखों से तुम पढ़ लो , जो मन के अंदर है,

'कमलेश ''वर्षा -ऋतु में नव जीवन का संचार हुआ ,
हरी-भरी हो गयी धरती ,आनंदित सारा संसार हुआ


मन की बात..!!!


गर मन की सुनते तो हाथ भी ना मिलते ,
दोस्ती की बात तो दूर रही, साथ भी ना चलते ।

मन की कुछ बातें कभी-कभी, बड़ी अजीब होती हैं ,
जिससे नफरत करता है, उसी के बहुत करीब होती है ।

मन की सुनो तो हमेशा, जिंदगी मुड़ जाती है ,
जिस को चाहते वही तार ,अपने आप जुड़ जाती है ।