
Sunday, August 19, 2012
Thursday, August 16, 2012
क्या ये सही नही है ...???

कहते है !टूटे दिल की कोई ,आवाज नही होती ,
टूटे पंखों से आसमां में 'परवाज़ नही होती ।
दिल खटाक से टूटकर ,चूर -चूर हो गया ,
पंक्षी बिना पंखों के भी ,आसमां में फुर्र हो गया ,
'कमलेश 'हो वक्त बेरहम तो , हर पांसा फांस जाता है ,
हो वक्त बा-वफा तो इन्सां , जहर को भी चांट जाता है ॥
Tuesday, August 14, 2012
इस आलम में हर तरफ ...!!!

इस आलम में हर तरफ, फैली क्यूँ बदहवासी है ,
नूर भरे चेहरों पर छाई , ये कैसी सर्द उदासी है ।
क्यों ? नही गर्म जोशी से थामते ,इक दूसरे का हाथ ,
क्या ? इसमें भी कोई साजिस रची सियासी है ।
हम साया जो रहे , दुखो-दर्द का साया बन कर ,
कत्लो -गारत की उनकी नियत, क्यों बनी पिशाची है!!!
जिस बात को समझने में , मुद्दतें लगा गयी इनकी पुश्तें ,
इन्सान-इंसानियत को समझे , बस इतनी बात जरा सी है ...!
'कमलेश' खौफ जदा चेहरों में लाश, इंसानियत की दिखती है ,
है कोई ज़रूर नश्तर चुभा दिल में,सबको लगता है बात जरा सी है ..!!!
Subscribe to:
Comments (Atom)