Saturday, July 28, 2012

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥*
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माम्रतात् ।।
"कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्
सदावसंते हृदयार्विन्दे भवं भवानी सहितं नमामि।।"
भगवान् शिव गौर वर्णीय हैं। इस श्वेत वर्ण का तात्पर्य क्या है? यह शांतिपूर्ण ढंग से मनुष्यों को सिखाता है कि उनके हृदय शुद्ध एवं निर्मल हों, और उनमें शुद्ध-सात्विक विचारों का वास हो। मनुष्य कुटिलता, चालाकी, धूर्तता, ईर्ष्या, द्वेष आदि से मुक्त हो!
आपको सपरिवार..
पावन सावन माह की हार्दिक शुभकामनाये..
मेरे भोलेनाथ आपकी हर मनोकामना शीघ्र-अतिशीघ्र पूर्ण करे

Monday, July 23, 2012

रिम-झिम ,रिमझिम -मेघ ...!!!

रिमझिम -रिमझिम मेघ बरसता ,गिरती बूँदें शाखों से ,
याद के बादल जब-जब छाये ,निर्झर निकला आँखों से

देख उमड़ते मेघों को ,मोर -मोरनी संग नाचे ,
पिया बसे परदेश जा, सजनी बैठी पाती बांचे

मौसम बैरी इस विरहन की ,मिलन की आग जलाये ,
जाओ इस विरह घड़ी में, बैठी हूँ आस लगाये

बहुत सुहाना मौसम है , वक्त बड़ा ही सुंदर है ,
मन की आँखों से तुम पढ़ लो , जो मन के अंदर है,

'कमलेश ''वर्षा -ऋतु में नव जीवन का संचार हुआ ,
हरी-भरी हो गयी धरती ,आनंदित सारा संसार हुआ


मन की बात..!!!


गर मन की सुनते तो हाथ भी ना मिलते ,
दोस्ती की बात तो दूर रही, साथ भी ना चलते ।

मन की कुछ बातें कभी-कभी, बड़ी अजीब होती हैं ,
जिससे नफरत करता है, उसी के बहुत करीब होती है ।

मन की सुनो तो हमेशा, जिंदगी मुड़ जाती है ,
जिस को चाहते वही तार ,अपने आप जुड़ जाती है ।